शनिवार, 14 अगस्त 2021

कविता - समझ नहीं आता

कविता - समझ नहीं आता

समझ में नहीं आता किस पर लिखूँ!

भारतीय राजनीति पर कलम चलाऊँ,

या फिर महिलाओं की दुर्लभ स्थिति के भव्य सागर में बहती जाऊँ, 

समस्याएँ अनगिनत है सार किन किन का बताऊँ, 

सोच यही खुद पर मैं नजरें गङाऊ, 

और फिर जीवन के तराजू पर में खुद को चींटी से भी हारता पाऊँ! (2)


हिमांगी मिश्रा

बी ए प्रोग्राम (पॉलिटिकल साइंस + सोशियोलॉजी) 1st year

जीसस एंड मेरी कॉलेज



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