शनिवार, 30 अक्तूबर 2021

अनुच्छेद - मिथिला की संस्कृति

*मिथिला की संस्कृति*


भारत के विभिन्न क्षेत्र में भिन्न भिन्न संस्कृति और परंपरा की छटा दिखती है मिथिला की संस्कृति उत्तर भारत की एक विशिष्ट संस्कृति के रुप में जानी जाती है।

मिथिला में हर जाति , धर्म , वर्ग , समुदाय के लोग रहते है, पर सबके बीच सौहार्द और स्नेह का अटूट संबंध है। राजा जनक और उनकी सुपुत्री जानकी इस क्षेत्र की विशिष्टता के प्रतीक हैं यहां के निवासी सरल और शांतिप्रिय हैं। मिथिलांचल क्षेत्र में मुख्यत: मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, जयनगर, एवं सीतामढ़ी जिले आते हैं मिथिला का मुख्य केंद्र दरभंगा है , जिसे भावी मिथिलांचल की राजधानी भी कहा जाता है। यहां की मुख्य भाषा मैथिली है , जो कर्णप्रिय एवं मधुर है। मछली पान और मखाना यहां की संस्कृति के प्रमुख अंग है यहां शुभ अवसरों पर इनके प्रयोग की सुदीघ पंरपरा रही हैं।
यहां आज भी ग्राम्य संस्कृति की झलक देखी जा सकती है अब भी यहा धोती कुर्ता और साड़ियों को पहनावे के रुप में देखा जा सकता हैं।

यहां धार्मिक सद्भाव का अनुपम रुप लक्षित होता है हर धर्म के लोग मिल कर सभी त्योहारों को मनाते हैं  यह क्षेत्र त्याग, दर्शन , नीति , और सदाचार के लिए प्रसिद्ध रहता है।

यहां की चित्रकला *मिथिला पेंटिंग* के नाम से विश्व विख्यात है यहां के कलाकार केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सम्मान प्राप्त कर चूके है इसी पावन धरती पर विद्यापति, आयाची मिश्र, नागार्जुन , मंडन मिश्र, चंदा झा एवं दरभंगा महाराज जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया, जिनके यश सौरभ से आज भी यहा का वातावरण सुगंधित है । साहित्य , कला एवं संस्कृति की दृष्टि से मिथिला संस्कृति भारत की संस्कृतियों में विशिष्ट स्थान रखती है इस कारण कहा गया है की मिथिला संस्कृति में संपूर्ण भारतीय संस्कृति का प्रतिबिंब झलकता हैं।


सच कहे तो मैथिल, मिथिला और मैथिली अतिविशिष्ट है 
प्रतिभा, मिलनसारिता , नम्रता व आचरण की शुद्धता का संगम है मिथिला।

विद्या , तप , त्याग, दही, मछली, पान और मखाना की अनमोल भूमि है मिथिला । विश्व की समस्त भाषाओं का मिठास की दृष्टि से , भूषण है मैथिली।

" स्वर्ग से सुंदर मिथिला धाम,
मांदान आयाची राजा जनक के गाम,
स्वर्ग से सुंदर मिथिला धाम"


*अंकिता आनंद*
*हिंदी ऑनर्स , द्वितीय वर्ष*

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