सोमवार, 7 दिसंबर 2020

कविता - पर्दा

Name : Tanu shree rawat
Course and year : Hindi hons 1st year
College : Jesus and Mary college

कविता - पर्दा 

यहां पर्दा है हर रिश्ते में,
ऐसे रिश्तों से डरती हूं।
लुक्का - छिप्पी का खेल हो जैसे,
ऐसे रिश्तों में पलती हूं।
वो हॅंस के के देते हैं कि,
यह कुछ नहीं बस ' यूं हीं ' हैं।
इन ' यूं हीं ' के रिश्तों में ही तो,
तिल - तिल कर मैं मरती हूं।
चुप रहना भी मजबूरी है,
कुछ कहने बस की बात नहीं।
इन रिश्तों के खातिर है तो मैं,
फिर खामोशी सहती हूं।
यहां पर्दा है हर रिश्ते में,
ऐसे रिश्तों से डरती हूं।

आज पेड़ों की खुशी

आज पेड़ों की खुशी निराली है हर तरफ दिख रही हरियाली है पक्षियों में छाई खुशहाली है क्योंकि बारिश लाई खुशियों की प्याली है  Priya kaushik Hind...