बी. ए हिंदी ऑनर्स
जीसस एंड मेरी कॉलेज
तुम और मैं
उस सड़क से आते तुम
सामने से आती मैं
अपने बाल संवारते तुम
खुद पर इतराती मैं
धूप पढ़ती तुम्हारे चहरे पर
तुम्हें निहारती मैं
तुम्हें देखकर खुश होती मैं
पर मुस्कुराते तुम
देर से निकलती मैं
पर देर हो जाते तुम
शिक़न आती मेरे माथे पर
और परेशान हो जाते तुम
बेवजह मुस्कुराती मैं
और तनाव से मुक्त हो जाते तुम
सपने देखती मैं
मेरे सपनों में आते तुम
कभी तुम 'मैं' होते
और कभी मैं हो जाती 'तुम'
कविता लिखती मैं
और मेरी कविताओं में आते तुम
घर से निकलती मैं
तो रास्ते में मिल जाते तुम
नजरे मिलाती मैं
तो बात करने से घबराते तुम
बारिश होती मेरे शहर में
और भींग जाते तुम
कभी तुम 'मैं' होते
और कभी 'मैं' हो जाती तुम
©सौन्दर्या 🥀