गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

लेख - मैं एक नारीवादी क्यों हूं?

नाम : अदिति

कोर्स : बी ए हिंदी ऑनर्सव

वर्ष : द्वितीय


मैं एक नारीवादी क्यों हूं?



आपने अक्सर यह सुना होगा, देखा होगा, या स्वयं कहा भी होगा कि ' स्त्री और पुरूष में कोई अंतर नहीं होता ' अरे! मगर आपने है तो कहा था कि घर के मर्द ही नौकरी करते हैं औरत नहीं, लड़कियां पढ़ लिख कर क्या करेंगी, बेटी की शादी करना मां बाप का फैसला होगा मगर बेटा अपनी मर्ज़ी से विवाह करने का अधिकार रखता है और हां यह भी कि इज्ज़त औरत का गहना होता है उसे बचा कर रखना चाहिए मगर पुरुष कहीं भी कैसे भी अपनी मर्ज़ी से जीवन व्यतीत कर सकता है। फेमिनिज्म, हिंदी में कहें तो नारीवाद, ऐसे ही विषयों पर विचार विमर्श कर असंख्य प्रयास करता है जिससे आपके ही दिए गए इन कथनों को गलत साबित किया जाए और यह स्पष्ट किया जाए कि हां स्त्री और पुरूष में वाकई कोई अंतर नहीं है।


मैं एक फेमिनिस्ट हूं, एक स्त्री अधिकारवादी। सुनने में कितना अटपटा लगता है ना कि किसीको अपने ही सामान्य अधिकारों के लिए भी संघर्ष करना पड़ सकता है, अचंभित ना हों यहां ऐसा अक्सर होता है। खुद इस समाज का सामना कर जो स्त्री आज उस मुकाम पर है वह जानती है कि एक तुच्च-सी ख्वाहिश पूर्ण करने के लिए भी उसने कभी कितना संघर्ष किया होगा और आज वह भी यही सपना औरों के लिए देखती है कि उस जैसी तमाम स्त्रियों को वह अधिकार मिले, वह मुकाम मिले, वह अवसर मिले जिस कारण समाज में नारी का उद्धार हो।


वह कहते हैं ना कि दुख बांटने से कम होता है मगर जब हम और आप जैसी महिलाएं अपना दुख बाटेंगी तो वह आक्रोश का स्थान लेगा और फिर यही आक्रोश इस समाज में एक बदलाव लाने का कारण बनेगा।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आज पेड़ों की खुशी

आज पेड़ों की खुशी निराली है हर तरफ दिख रही हरियाली है पक्षियों में छाई खुशहाली है क्योंकि बारिश लाई खुशियों की प्याली है  Priya kaushik Hind...