Name : Bhavana
Course : Ba Hindi hons
College : Bharati college
भूल
देखा था जो स्वप्न
वह स्वप्न स्वप्न ही रह गया
मिलते मिलते नयनों से ही
वह कहीं ओझल हो गया।
था कठोर निर्णय मेरा
मुझे पढ़ना है, कुछ बनना है
औंचक किसी के आ जाने से
मेरा निर्णय बदल गया।
थी किसी की नजर मुझ पर
वह मीठे बोल सुनाता था
हँस हँस कर इतना वह मुझ पर
अपना हक जताता था।
जानती थी खूब
वह निकम्मा है, आवारा है
पर खुद को समझाती
नहीं अब शायद उसने खुद को सुधारा है।
उसके कारण मैंने अपनी
तमन्नाओं का कत्ल किया
अपनी इच्छा और अभिलाषा
का भी तो मैंने कत्ल किया।
परन्तु यह भूल थी मेरी
जो उस पर विश्वास किया
उसकी बेवफाई ने
मुझ पर बड़ा आघात किया।
कर भरोसा उस पर मैंने
अपनों का तिरस्कार किया
और शायद इसी का परिणाम
मुझे प्राप्त हुआ।
उसके कारण ही तो सारे
अपने मुझसे रूठ गए
उसके कारण ही तो सारे
सपने मेरे टूट गए।
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