रविवार, 29 नवंबर 2020

कविता - महामारी और मानसिक स्वास्थ्य

Name - Saundraya Dwivedi
Course - BA Hindi Hons
Year - second year
College- Jesus and Mary College


ll महामारी और मानसिक स्वास्थ्य ll

ये रास्तों के सन्नाटे 
ये घरो से आती आहटे
कुछ जगहों की पुरानी यादें  
खिड़कियों से झांकती 
कुछ चंचल आंखे
ये बहती हुई पवन
मेरे कानो में आकर कहती है 
ये वक्त भी गुजर जाएगा
ये वक्त भी गुजर जाएगा

लगाया मैने बैर पवन से
पसंद ना आये मुझको बात
भरे भवन में देती है एक झूठी सी आस
फिर भी जाने क्यों जागी है उर में एक आस
पवन कहती है मेरे मन से छोड़ो तुम घबराहट का साथ

कैसे सुनूं मैं बात पवन की ,
मैं महामारी से आहात
पर सुननी जरूरी है आज पवन की ये बात
मन मेरा विचलित रहता है।
बदला है अब मानसिक स्वास्थ्य
तरह - तरह के प्रयोग करूं मैं
पर कैसे जगाऊं आस

©सौन्दर्या द्विवेदी

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