Name : Bhavana
Course : Ba Hindi hons
College : Bharati college
प्रकृति
वह जमाना गया
जब प्रकृति को सब कुछ मानते थे।
अपने दुःखों और सुखों का कारण
प्रकृति को मानते थे
मानते भी क्यों न
आखिर वही करती है इंसान का
हर तरह से पोषण
और आज इंसान ही कर रहा है
हर प्रकार से प्रकृति का शोषण
नहीं परवाह उसे प्रकृति की ,भूमि की
है परवाह उसे केवल
अपने बैंक को भरने की
मगर शायद वह भूल गया
कितना कर्ज है हम पर प्रकृति का
जब नहीं थी हमें समझ
तब इसी ने हाथ थामा था
व्रक्षों की लताओं में छिपा
सर्दी से हमें बचाता था
फल फूल का दान कर
पेट की आग बुझाता था
बचाया जिसने हमें
धूप से ,बारिश से
आज उसी के हम दुश्मन हो गए
वैज्ञानिकों के परीक्षण सफल क्या हो गए
इंसान ही प्रकृति के दुश्मन हो गए
मदद की जिसने इन्सान के विकास में
वही अपनी सुरक्षा में असमर्थ हो गई
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