शनिवार, 30 अक्तूबर 2021

अनुच्छेद - मिथिला की संस्कृति

*मिथिला की संस्कृति*


भारत के विभिन्न क्षेत्र में भिन्न भिन्न संस्कृति और परंपरा की छटा दिखती है मिथिला की संस्कृति उत्तर भारत की एक विशिष्ट संस्कृति के रुप में जानी जाती है।

मिथिला में हर जाति , धर्म , वर्ग , समुदाय के लोग रहते है, पर सबके बीच सौहार्द और स्नेह का अटूट संबंध है। राजा जनक और उनकी सुपुत्री जानकी इस क्षेत्र की विशिष्टता के प्रतीक हैं यहां के निवासी सरल और शांतिप्रिय हैं। मिथिलांचल क्षेत्र में मुख्यत: मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, जयनगर, एवं सीतामढ़ी जिले आते हैं मिथिला का मुख्य केंद्र दरभंगा है , जिसे भावी मिथिलांचल की राजधानी भी कहा जाता है। यहां की मुख्य भाषा मैथिली है , जो कर्णप्रिय एवं मधुर है। मछली पान और मखाना यहां की संस्कृति के प्रमुख अंग है यहां शुभ अवसरों पर इनके प्रयोग की सुदीघ पंरपरा रही हैं।
यहां आज भी ग्राम्य संस्कृति की झलक देखी जा सकती है अब भी यहा धोती कुर्ता और साड़ियों को पहनावे के रुप में देखा जा सकता हैं।

यहां धार्मिक सद्भाव का अनुपम रुप लक्षित होता है हर धर्म के लोग मिल कर सभी त्योहारों को मनाते हैं  यह क्षेत्र त्याग, दर्शन , नीति , और सदाचार के लिए प्रसिद्ध रहता है।

यहां की चित्रकला *मिथिला पेंटिंग* के नाम से विश्व विख्यात है यहां के कलाकार केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सम्मान प्राप्त कर चूके है इसी पावन धरती पर विद्यापति, आयाची मिश्र, नागार्जुन , मंडन मिश्र, चंदा झा एवं दरभंगा महाराज जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया, जिनके यश सौरभ से आज भी यहा का वातावरण सुगंधित है । साहित्य , कला एवं संस्कृति की दृष्टि से मिथिला संस्कृति भारत की संस्कृतियों में विशिष्ट स्थान रखती है इस कारण कहा गया है की मिथिला संस्कृति में संपूर्ण भारतीय संस्कृति का प्रतिबिंब झलकता हैं।


सच कहे तो मैथिल, मिथिला और मैथिली अतिविशिष्ट है 
प्रतिभा, मिलनसारिता , नम्रता व आचरण की शुद्धता का संगम है मिथिला।

विद्या , तप , त्याग, दही, मछली, पान और मखाना की अनमोल भूमि है मिथिला । विश्व की समस्त भाषाओं का मिठास की दृष्टि से , भूषण है मैथिली।

" स्वर्ग से सुंदर मिथिला धाम,
मांदान आयाची राजा जनक के गाम,
स्वर्ग से सुंदर मिथिला धाम"


*अंकिता आनंद*
*हिंदी ऑनर्स , द्वितीय वर्ष*

शनिवार, 23 अक्तूबर 2021

अनुच्छेद - सर्वव्यापी महामारी/संगरोध

सर्वव्यापी महामारी /संगरोध (pandemic/quarantine)

दुनिया चुप हो गई है जबकि यह चिल्ला रही है और अंदर से उखड़ रही है। यह एक स्तरित चुप्पी है और मैं इस चुप्पी को पसंद करना शुरू कर सकती हूं और शायद कर रहीं हूं। 
          जो कुछ भी चल रहा है, अब पहले से कहीं ज्यादा, अपने आप को पहले रखें और वास्तव में क्या मायने रखता है, इसके लिए समय बनाएं। आपको एहसास होगा कि वास्तव में क्या महत्वपूर्ण है। इस महामारी में बस सिर पर छत हो, दिन के माध्यम से पर्याप्त भोजन और पानी और किसी से बात करने के लिए हो बस इतना ही काफी है। हमारे पास अब जो नही है वो है देर रात की पार्टियां, महंगे डिनर, छुट्टी और भौतिकवादी चीजें जो सिर्फ दूसरों को दिखाने के लिए होती है। जीवन के अर्थ में वास्तविक मूल्य को जोड़ना नहीं, लोगों के साथ समान होना, उन लोगों के साथ होना जिन्हें आप प्यार करते हैं, केवल वही बात महत्वपूर्ण है। अपने आप को प्यार, सहानुभूति, क्षमा और दया के साथ समृद्ध करें। अपने स्थान को एक खुश और सकारात्मक बनाएं। अपने आप को अपना # 1 व्यक्ति बनाएं क्योंकि अब हमारे आस-पास केवल एक चीज है और वो है लॉकडाउन , और जो एकमात्र निरंतर मैं देख रही हूं वह हम खुद है। हम सीखेंगे और बहुत कुछ महसूस भी करेंगे क्योंकि यह समय ही ऐसा  है। हमें अपने आप पर जीत, अपनी चिंता पर जीत करनी है क्योंकि अंत में यह केवल एक चरण है, जिसने हमें अपने लिए समय दिया। इस महामारी को देखते हुए एक कविता प्रस्तुत कर रही हूं- 

आज बड़े दिन बाद हवा से मिली :-

आज बड़े दिन बाद मैं हवा से मिली
पूछा मैंने "कहा चली ?"
बोली " चली जा रही हूं मैं अकेले गली- गली, कोई साथ खेलने वाला ही नहीं! "
"किसकी पत्ते की प्लेट उड़ायू, किसकी बालों को सहलाऊ??" 
हंसते हुए बोला मैंने "तो बैठो मेरे साथ करो दो-चार बात" 
तो बोली "आजकल क्या दिन और क्या रात, हर समय बस यही एक बात ' करो सैनिटाइजेशन ' और धोलो अपने हाथ" 
सुनकर मैं बोली "क्या बात- क्या बात! "
                   तनु श्री रावत
                 (B.A hons Hindi)

सोमवार, 18 अक्तूबर 2021

Article On Hindi

Article on Hindi

जैसे अन्य विषय,हिन्दी भी हमे नई चीज़ो के बारे मे जानने के लिए समझने का एक बड़ा दायरा प्रदान करता है और हमे पता चलता है कि वे एक दूसरे के साथ कैसे जुड़े हुए है| यह ज्ञान की एक धारा है| हर कविता और कहानी से एक नैतिक मूल्य हम सबको प्राप्त होती है जो हमें सीखने को मिलता है जो कि बहुत दिलचस्प है और संचार रणनीति मे भी मदद करता हैं| यह विषय जीवन में अर्थ जाड़ने वाली हर छोटी सी छोटी चीज़ को समझने में भी मदद करता है और हमें मामले के महत्व का पता चलता हैं| यह विषय जीवन में रंग भर देता है चाहे वह कितना भी नीरस क्यों न हों| इस विषय मे मैने जो भी कवि पढ़े है, उनसे मैने मानवता सीखी हैं| जिस तरह उनमें से प्रत्येक ने इस फार्म की समझ को उजागर किया, मैं उसकी सराहना करती हूँ| धर्म के कारण लोगो के बीच में युद्ध वर्षो से विवाद है लेकिन कवियों ने लड़ने के बजाय एक साथ रहने के लिए बहुत समर्थन किया| वे प्यार फैलाते है नफरत नहीं| इससे मुझे व्यक्तिगत रूप से बहुत कुछ सिखने को मिला क्योंकि आज के समकालीन संसार में ईर्ष्या, स्वार्थ और घृणा है| और जीवन में इन अवांछित चीज़ों से बचने के लिए पक्षपात को रोक कर प्यार, स्नेह और दोस्ती फैलना ही एक महत्वपूर्ण चीज़ है| मैंने यह भी सीखा है की ख़ुशी- ख़ुशी रहना और एक दूसरे का सहयोग करना अच्छी बात है और हम सभी को यह ज्ञान सबके साथ बाँटना चाहिए| हिंदी से हमारे अंदर भावनात्मक विकास होता है| विचारों में बड़ी ताकत होती है और विचार हमें भावनात्मक रूप से मज़बूत बनाते है| और मुझे यह लगता हैं की जो भावनात्मक रूप से मज़बूत हो उसे इस दुनिया में कोई नहीं हरा सकता| क्योंकि जो टूट कर भी मुस्कुरा दे, उसे कोई नहीं हरा सकता| मुझे यह लगता है की हम जैसा पढ़ते है और जैसे माहौल में रहते है, हमारी सोच भी वैसी हो जाती है और इंसान अपनी मेहनत से ज़्यदा अपनी सोच से ही बनता है, क्योंकि वह जिस स्तर की सोचता है वह फिर उसी स्तर की मेहनत भी करता है| तो मैंने यह भी सीखा है की हम जो भी सोचते है, वैसा ही करते हैं, और वैसा ही बनते हैं| 'हिंदी' विश्व में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में से एक है| विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ -साथ हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा भी है| यह भाषा अनादि काल से प्रयोग की जाती रही है और ये लोगो के बीच संचार का एक सशत्क माध्यम रही है| एक भाषा के रूप में हिंदी बातचीत को समझने का एक आसान तरीका प्रदान करती हैं, जिसे सबसे महत्वपूर्ण उपकरण माना जाता है| हिंदी जीवन में अहम भूमिका निभाती है| हममें से बहुत से लोग अन्य भाषाओं के बारे में नहीं जानते होंगे लेकिन हर कोई हिंदी भाषा के बारे में जानते हैं, भले ही वे लिख नहीं सकते, लेकिन बोल और समझ सकते हैं| जिससे संचार आसान हो जाता है| यह एक बेहतर समझ प्रदान करता है| हिंदी से हमें मानवीय मूल्य सीखने को मिलते हैं, क्योंकि सबसे से पहले साहित्य और कविता की बात करें तो, वह एक ऐैसे परिस्थितियों को बताता हैं जिनसे वह गुज़र रहा है और समाज को भी दर्शाता है क्योंकि वह एक हिस्सा है| मेरा दृढ़ विश्वास है की हिंदी साहित्य के माध्यम से किसी अन्य मनुष्य या व्यक्ति के जीवन का ज्ञान और समझ संभव है, क्योंकि कविता और कहानी का उदाहरण लेने पर हम उसमें अपना प्रतिबिंब और भावनाएँ देख सकते हैं| चुंकि हम देख सकते हैं कि कोई व्यक्ति कविता या कहानी में क्या कहना चाह रहा है इसलिए हमें मानव मानस की समझ मिलती है| भारतीय साहित्यक परम्परा विश्व में सबसे पुरानी है| यह मुख्य रूप से पछ में से एक है और अनिवार्य रूप से मौखिक है| जीवन के आयामो विभिन्न पहलुओं को हिंदी साहित्य के माध्यम से गहराई से समझा जा सकता है क्योंकि यह पूरी मानवता का प्रतिबिंब है,जो आदिकाल से शुरू होता है, जहां एक राजा कि जीत का जश्न मनाया जाता था और इस युग मे प्रकाश डाला जाता था जो उस समय को दर्शाता है जब युध्द हुआ करते थे और युध्द जीतना अत्याधिक महत्वपूर्ण होता था। इसलिए यह मानव जीवन के गौरव पहलू को दर्शाता है। रीतिकाल युग जीवन के प्रेम और सौंदर्य पहलू को चित्रित करता है| यहाँ के राजा विभिन्न कवियों और नर्तकियों को अपने दरबार में मनोरंजन के लिए बुलाते थे| यहाँ बिहारी लाल, धनानंद जैसे कवियों ने अपनी कविताओं में जीवन के प्रेम पहलू को दर्शाया है, जो एक व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है| धनानंद ने व्यक्तिगत जीवन में एक तरफ़ा प्रेम पहलु को चित्रित किया है| बिहारी लाल ने प्रेम पहलु को चित्रित करने के लिए भगवान कृष्ण और राधा के सन्दर्भ का प्रयोग किया| भक्तिकाल, इस अवधि में जीवन के धार्मिक पहलू को चित्रित किया गया है| कबीरदास और मीराबाई की कविताओं में एक भक्त के मन और भक्ति का चित्रण किया गया है| कवितायेँ दिखाती है की कैसे एक भक्त का मन भगवान के प्रेम से रंग जाता है| आधुनिक काल, इस समयावधि विकसित में ये स्वयं को मुक्त करने और एक मज़बूत मानसिकता विकसित करने के संघर्ष की शुरुआत थी| इसमें पूर्व स्वतंत्रता, मध्य स्वतंत्रता और स्वतंत्रता के बाद का समय शामिल है|  यह समय अवधि जीवन के स्वतंत्रता के पहलु के लिए एक व्यक्ति की इच्छा को दर्शाती  है| इस समय के दौरान प्रिंट मीडिया का विकास हुआ और यह लोगों के लिए अपनी राय रखने और समाचारों और वर्त्तमानो घटनाओं से अवगत होने का एक माध्यम था| यह जीवन के आत्म जागरूकता पहलुओं को भी दर्शाता है|
 
                                                                      -Meggeeny N. Simte     
B.A. Programme(pol.Science and socio)
                                   
 
 



कविता - सुधर जा ऐ मानुष

           सुधर जा ऐ मानुष

सुधर जा ऐ मानुष अब भी समय है,
सुधर जा ऐ मानुष अब भी समय है॥
यह लीला रची है जिसने संसार की
आज देखा है उसने यह कुकर्म का लेखा
देखा उसने अभी बस कुछ क्षण भर है, ध्यान देने पे प्रलय न आने में देर है
सुधर जा ऐ मानुष अब भी समय है।।
यह सुनामी,यह त्रासदी,यह बदलती महामारी यह सब तेरे कर्मों का फल है।।
सुधर जा ऐ मानुष अब भी समय है,
जो बीत गया सो भूल कर कल को उजियार, वरना यह कमाई धरी रह जायेगी सब तेरे जाने के बाद,,कुछ ना रहेगा तब तेरे चाहने वालो के पास,खुद के लिए कम जरूरत मंद लोगों के लिए कर विचार।
क्या करेगा यूं घूम कर दूर विदेशी राज्य
जब न रहेगा खुद का यह स्वर्गीय सा कुटुम्ब राज्य।।
सुधर जा और कर सब पर उपकार
भूल जा द्वेष भावना अपना मैत्री की राह
भूल जा किसे देना है दंड किसे करना है क्षमा।।
रख बस ईश्वर पर भरोसा यह पल भी बदलेगा जरूर अगर सब मिल कर देगे एक दूसरे का साथ।।
होगा अगर सब उसके अनुसार,सब ठीक हो जायेगा रख उस पर विश्वास।।।


_वर्षा द्विवेदी_


बुधवार, 6 अक्तूबर 2021

नाटक - बेबाक बैठक

बेबाक बैठक

यह जंगल जात दुनिया है, इंसानी दुनिया से अलग थलग दोनो दुनिया के कानून है, अपनी रियावते हैं । एक इमरजेंसी  आ जाने पर, सभा की बैठक बुलाई जाती है । सभा के 6 प्रमुख सदस्य है- शेर, हाथी, बंदर , चीटी, गीदड, गिद्ध । इस सभा की अध्यक्षा है - चींटी । और शयाम का समय होने के करण कक्ष मैं अंधेरा काफ़ी है।
गीदड- अध्यक्ष साहिबा शुरु कीजिए ।
गिद्ध- जी, फरमाइय , क्यों सभी को इख्टठा किया है।
चींटी- इस सभा की अध्यक्ष होने के नाते, आने के लिए आप सभी का धन्यवाद करती हूँ और___
गीदड- (बीच के टोकटते हुए) शेर दादा कहाँ है? आए नहीं क्या अभी तक?
बंदर- दो मिनट चुप ( डाटते हुए) ।
बोलिए अध्यक्षा साहिबा।
चींटी - जी, धन्यवाद बंदर जी। शेर दादा थोडी देरी से आएँगे । कल रात की घटना से आप सभी परिचित होंगें।
हाथी- जी हाँ। ( सिर हिलाते हुए)
गिद्ध- कौनसी घटना ?
गीदड- ( मजाकिया व्यवहार से) सुना है आप आसमान में रहते है, फिर भी न्ही मालूम । हा हा हा
गिद्ध- (गुस्से से) जी ठीक सुना है आपने, लेकिन हर वक़्त आसमान मैं नहीं टंगा रहता । ( कहते - 2  रुक जाता है)
गीदड - अरे माफ कीजिए भाई, आप बुरा मान गए ।
चींटी- (चश्मा साफ करते हुए) क्या यह बैठक मजाक करने के  लिए बुलाई गई हैं?
गीदड - माफ कीजिए, माफ कीजिए।
( अभी भी हँसता हैं।)
चींटी- मुद्दे पर आते है, कल रात को , सभी जानवरों की सोता पाकर कुछ इंसान हमारी सीमा मै घुस आए थे। शेर दादा ने उन्हें देख लिया बंदी बना लिया।
गिद्ध- संख्या में कितने थे?
गीदड़- दो ( सोचते हुए)।
चींटी- उनसे पुछ - ताछ की जा रही है, अभी तक बात साफ तोर पर बाहर नहीं आई है।
बंदर - हाँ, लेकिन इतनी परेशानी की बात क्या है , इंसान पहले घूंसे थे। हमशा ही घूंसे चले आते हैं ।
बंदर- हाँ, इंसान जात सुधरेंगी थोड़ी । आए होंगे जंगलो पर कब्जा करने।
गिद्ध- या हमारे भाई - बँधुओ का शिकार करने।
चींटी- शुरु-शुरु में जाच कर्तओ को यहीं लगता था । लेकिन धीरे धीरे आभास हुआ, मामला यह नहीं है । चारो इंसान बहुत डरे हुए हालत मै पकड़े गए थे ।
( कमरे का गेट खुलता है, शेर दादा का प्रवेश होता है। चेहरे से चिंता टप टप टपकती नज़र आती है।)
गीदड़- गुड़  मॉर्निंग, शेर दादा।
शेर दादा- गुड़ इवनिंग , शुक्रिया सभी बैठ जाईए ।
गिद्ध- ( बंदर से कहते हुए ) इस गीदड़, कम बुद्धि को सभा का सदस्य बनाया किसने ।
बंदर- हा,हा,हा___।
हाथी - शेर दादा, क्या मालूम चला?
गीदड़- हाथी साहब हब आप बोले, हमे तोह लगा आज की भी टॉक टाईम बचा लेंगे आप। हा,हा,हा___।
[सभी गीदड़ को घुरते है, चींटी अध्यक्षा उसे चुप रहने का इशारा करते है।]

शेर दादा- पुछ ताछ में उन्होनें बताया है की वो चारों हमें एक अहम सूचना गुप्त ढंग से देने आ रहे थे, दुसरे इंसानो ने उन्हें देखा तोह भागने लगे और हमें पकड़े गए ।
बंदर- सफ़ेद झूठ ।
चींटी- अगर उन्हें हमसे बातचीत करनी थी तो समझौता कानून के मुताबिक उन्हें अपनी सरकारी कमेटी को हमारे पास सूचना देने भेजना चाहिए था।
गिद्ध- मुझे भी येही लगता है यह स्वंम को बचाने के लिए यह बाहना बना रहे है ।
शेर दादा- लेकिन सोचने वाली बात है, अगर उनका कोई दुसरा बुरा इरादा होता तो उनके पास से हमें बंदूक या दुसरे हथियार मिलते ।

बंदर (हैरानी से)- क्या सच में उनके पास कोई हथियार नहीं थे।
शेर दादा- नहीं, लाठी तक नहीं ।
( सब हैरानी से सोचने पर मजबूर हो जाते है)
हाथी _ तोह क्या उन्होने बताया क्या सूचना देना चाहते थे ?
शेर दादा- हाँ, बताया लेकिन बात की गंभीरता को समझने के लिए मै चाहता हूँ आप खुद उनसे सुने ।
चींटी अध्यक्षा के कहने पर चार कुर्सियाँ और लगवाई जाती है, शेर दादा के कहने पर अपना परिचय देते है।
इंसान 1- मैं ह्यूमन लैंड डिपार्टमेंट का एक कलेर्क हूँ , बंदर भाई के जो दाई ओर बैठा है वो मेरा साला है ( इंसान 2) पेशे कुछ नहीं हैं बेरोजगार हैं। सोशलिय साइंस करता है, इसलिए साथ - साथ चला आया ।
इंसान 3 (महिला) - मैं भी वही से ही हूँ, उनकी वकील हूँ ।
इंसान 4- मैं जो, ह्यूमन डिपार्टमेंट, के बगल मै जो इंसानी मंत्रयालय है न, हम वहाँ चपरासी हूँ ।
शेर दादा- ठीक है जो तुमने मुझे बताया वो इन सबको बताओ।
इंसान 1- कल दोपहर इंसानी मंत्रालय  के सदन मै चल रही चर्चा समाप्त हो गई । इंसानो ने मनुष्यता को दुनिया भर मैं समाप्त कर दिया, अब वह काफ़ी महिनों से खाली बैठे है, तो उन्होनें अपने मनोरंजन के लिये एक योजना तैयार की है, की क्यों ना अब जानवरों की दूनिया को खत्म करा जायेजाये

चींटी- (चौकते हुए) क्या मतलब ?
इंसान 1- उनके प्क़स बोहुत शक्तिशाली हथियार , मजहब कम, जाति तोप, वर्ग भेद RDx लिंग भेद मशीन गन। यही वो यहाँ लाना चाहते है ।
इंसान 3 - वह प्रत्यक्ष रूप से आप पर हमला नहीं कर सकते क्योकी आप लोगो की संख्या हम से बहुत अधिक है। 
( सदन मे सभी सदस्य बौखला उठते है, ऐसी बात सुनकर सभी के होश घूम जाते है)
चींटी- हम हम हम तुम्हारी सरकार से बात करेंगे।
इंसान 4 - सरकार ही तो चालक है साहिबा।
(सदन मे फिर से कोलाहल मच जाता है, किसी का चेहरा गुस्से से लाल, किसी का दर के ढक जाता है।)


शांत  हो जाईये । कृपा कर सभी शांत हो जाईए। मसले का हल निकालने की कोशिश कीजिए , हंगामा मत मचाईए ।

गीदड़- हल नहीं, हमला करना है।
चींटी, गिद्ध,शेर,हाथी- नहीं, बिल्कुल नहीं । (चिल्लाते हुए)
गीदड़- आप सभी अपने सिद्धांतों की चांदी चमकाए हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहिए, और वो आकर हमारी दुनिया में गन्दगी फैलाकर नष्ट कर देंगे , तब जाकर गिनाते रहना जनता को अपने को अपने सिद्धांतो का ताना-बाना ।
बंदर- तुम बोलने से पहले सोचा करो वरना चुप रहा करो । (डाटते  हुए )

गीदड़- चुप तो तुम रहो, तुम्हारी ही जात का विकास है यह नीच आदम कह। सबका लटने छीनने की आदत है इनकी, और बदनाम है गीदड़ |

(सब बंदर की तरफ देखने लगते हैं)

बंदर- हाँ भाई, हमारी ही जात का विकास हैं, घृणा इसी बात को सोच- सोच कर आती है। अगर यह डार्विन (Darwin ) बता कर नहीं  गया होता तो आज हम इस कलंक से मुक्त होते । (शर्मिंदा होते हुए )

चींटी- गीदड़, आपके इस व्यवहार के लिए सभा से आपको बाहर निकाला जा सकता है। अगली बार चेतावनी नहीं की जाएगी।

(सभा में चारों और सन्नाटा छा गया । शेर दादा इंसान-1 इशारा कर आगे की योजना बताने को कहते है।)

इंसान 1-उनका सबसे पहला हथियार है-मजहब जैन, बौद्ध, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई ___का नाम सुना है?

हाथी- नहीं।

इंसान 1- हाँ मैं जानता हूँ ।

यह मजहब है। यानि अलग-अलग धर्म है। हर धर्म के लोग जैसे पण्डित, मौलवी, पादरी आदि आकर आपकी अपने धर्म की अचाईया और दूसरे धर्म की बुराइयों बतायेंगे फिर एक धर्म चुनने को कहेंगे, जो धर्म आपने चुना वही धर्म आपके आने वाली पीढ़ी के साथ सदियों- द-सदियों जुड़ा रहेगा।

चींटी- लेकिन हम कोई धरम नहीं चुनना चाहे तो?
इंसान 1- न चुनने का तो कोई ऑप्शन ही नहीं है। अथिएस्ट बनने वालों को सीधा गोली जारी जाएगी।
गिद्ध- पर मजहब तो यह सब नहीं हैं ।
इंसान 1- हाँ वैसे है तो नहीं थे,

लेकिन हम इंसान है, हम अपने हिसाब से मजहब को अपने हिसाब से तोडते मोडते हैं और फिर अपने कर्मों को मजहब का नाम देते हैं। यह इंसानों का मैन हथियार है, इसके बाद और भी है...

एक के बाद दूसरा इस्तेमाल किया जाता है। मजहब बम के बाद 'जाति तोप' ।

गिद्ध- वो क्या है?

इंसान 2- जाति मतलब दबाना ।
गिद्ध- वो क्या है?
इंसान 2 - धर्म चुनने के बाद बात खत्म नहीं होती।
हाथी- जरा समझना ।

इंसान 1 - हर धर्म में जातियाँ है, हर धर्म बटा हुआ है।मुस्लिम मै जैसे शेख,   खान, क़ुरेशी। हिंदू में ब्राहमण,क्षत्रिय,वैश्य,शूद्र , कैथोलिक, प्रोतेस्तंत इसाईयों में, बहुत जातियाँ है भाई।
हाँ लेकिन जातियों को धर्म के अनुसार चुनना होगा।

हाथी- इसको चुनने से क्या होगा?

इंसान 1- जीवन जीने के लिए केवल रोटी, कपड़ा, मकान थोड़ी चाहिए होता है, पावर भी तो चाहिए। ('दबाने की पावर (Power)। जो ऊँच जाति में जाएगा उसके पास शक्ति होती।

हाथी- कैसी शक्ति?

इंसान- नीची जाति को दबाने की शक्ति आप जन्मजात धर्म से जुड़े नहीं है इसलिए धर्म के साथ जाति भी चुनने की आजादी लेगी। हम इंसानो के पास चुनने का मौका नहीं था पर आप के पास होगा, मेरा तो सुझाव है ऊंची जाति चुनिएगा । भवनाओं और भाइचारे में बहकर नीची जाति न चुन लिजीएगा  |

गीदड़- तो क्या सभी को जाति चुनने का मौका दिया जाएगा ।

इंसान 1- हाँ ।
गीदड़- ऐसे सब ऊंची जाति ही चुनेगे। (सोचता है)
इंसान - नहीं- नहीं ।

गीदड़- तो फिर।
इंसान 1- इस समस्या के निवारण के लिए तीसरे प्रयोग किया जाएगा ।

बंदर- तीसरा हथियार (आँखें बड़ी करता है ) 
इंसान- RDx , वर्गभेद RDक्ष का इस्तेमाल किया जाएगा ।
गीदड़- वर्गभेद मतलब क्या?
इंसान 1 - मतलब अमीर - गरीब । आपकी दुनिया में भी तो ये होते होंगे।

चींटी- तो बस जो अमीर है वो ऊँचे, जो गरीब है वो नीचे। जो आपके घरों में दफ्तरों (offices) में काम करते आए हैं, उन्ही को धकेल दीजिए। उन्हें कुछ आपत्ति भी नहीं होगी, उनकी पीढ़ी  -दर- पीढ़ी यह काम करती रहेगी, जब तक उन्हे गलत का आभास होगा, सदिया बीत चुकी होगी आपकी जिंदगी मौज मैं गुजरे__।

गीदड़- (अपनी बंद मुट्ठी को खोलते हुए गुस्से से बीच में चिल्लाता है) बंद करो यह जाहिलीयत (गीदड की अआ आवाज मैं शेर की दहाड़ जैसा खौफ था)
बंदर- चिल्ला क्योँ रहें हैं, ऐसा सचमुच मै होगा नहीं ____

गीदड़- कैसे नहीं होगा, जिस तरह ये तुम्हारे लिए नीच आयम जात से भाई बन गए, उसी तरह यह भी होने मैं देर नहीं ।
चींटी- तुम बेकार में बौखला रहे हो।
गीदड़- बेकार, बेकार, नहीं बिल्कुल नहीं, आप सभी को चिंता न्ही क्योकी आप सभी अमीर है । गरीब तोह हम है न, न पक्का घर, न रोज़गार । लेकिन गरीब है तो अपने लिए नहीं ।( ताना देते हुए ) शेरबाबा तो राजा है, चींटी साहिबा बड़े पार्टी की नेता है, जंगल पर आपकी ही पार्टी का राज है। हमारे बंदर साहिब तो इंसानो के भाई है। गिद्ध जी, पूरे आसमान का सरोकार संभालते है।

गिद्ध- (चिल्लाते हुए) अपनी सीमा मत लँगो ।
गीदड़- क्यों , क्योँ  न लाँगू  (गुस्से से)

हाथी- (विनम्रता से) गीदड़ भाई, विनति है गुस्सा मत किजीए। बैठ जाइए।

गीदड़- नहीं भाई, वहाँ ऐसी सोच पनपे, वहाँ में सांस न लूँ, तुम बैठने की बात करते हो।

(दरबाजे को जोर से पटकते हुए कक्ष से बाहर चला जाता है, एक बार फिर सदन में घोर सन्नाटा छा गया। हर कोई एक दूसरे का मुंह देखने लगता है । पूरे वार्तालाप के दौरान शेरदादा का मूक रहना, सभी के मस्तिष्क पर प्रश्नचिन्ह लगाता देता है। )

(शेरदादा इंसान 1 को बात जारी रखने का आदेश देते है)

इंसान- जी_जी_आगे

(गीदड़ की ललकारती अवाल से वो दहल गया है उसके मुँह से आवाज़ नहीं निकलती,इंसान 3 आगे की बात करने के लिए शेरदादा से इशारे से अनुमति माँगती है, चींटी सब देखती है, और इंसान 3 की घुघरे हूए कहती है सभा की अध्यक्षा में हूँ )

इंसान 3 - जी

चींटी- बात जारी रखिए।

इंसान - वर्गीय RDx  के बाद, लिंग भेद की चलाई जाएगी।

बंदर - (सुस्ती से) अब यह क्या है।

इंसान 3- पुरुष जात स्वयं को सर्वश्रेष्ठ और बेहतर बताने के लिए सदैव एक उदाहरण रखता है - नारी। 
गिद्ध- साफ-साफ बताइए बहंजी ।

इंसान - सभी जीव यो में विभाजित है - नर और माया | जिस तरह ऊँची जाति, निम्न जाति को दबाने की ताकत रखता है, उसी तरह नर जात, नारी जात को दबाने की शक्ति रखता है। जब लिंग भेद मशीन गन चलाई जाएगी। सबको उनकी डयूटी (Duty) याद दिलाई जाएगी
चींटी-  कैसी Duty ?

इंसान 3- नर की ड्यूटी है- माया को कब्जे में रखना, स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बनाए रखना |

चींटी - और माया की कैसी Duty?

इंसान 3- प्रजनन की Duty, घर का काम करने की Duty, अपने प्रमेश्वर की अराधना की Duty, खूब सारा दहेज लाकर ससुराल में नाम करने की Duty, पति, साँस, ससुर, नंद, भोजाई सबसे मार खाने की Duty, फिर स्वंय को फांसी लगने की Duty, आदि आदि आदि । बहुत लंबी List है।

इंसान 4 - माया जात का काम घर में रहता है, बस्ता बस्ता लटकाना नहीं, (यह उन इंसानों का कहना है अध्यक्षा साहिब)

( काली चींटी का मुख गुस्से से लाल हो जाता है।)

बंदर - मतलब चींटी साहिबा हमारी अध्यक्ष नहीं रहेगी। 
चींटी- (खूब तेज चिहलाती हूए) चुप रहो तुम।

आज की सभा को यहीं रोकने का आदेश देता हूँ, कल दुबारा 5 बजे शाम में बैठक बुलाई जाएगी । 

शेर दादा- (ऐतराज दिखाते हुए) यहाँ हम सभी समय निकालकर आए है। अब आप जब बोलेंगी तभी सभा समाप्त होगी - शाम 7 बजे या मुद्दा समाप्त होने पर।
चींटी- (गुस्से से) अच्छा!
( चींटी को नज़रो में शेर दादा के लिए जो सम्मान था वो चंद पलो में घृणा में बदल गई ।
बाकी बंदर, गिद्ध दोनो शेर दादा की हाँ में हाँ मिलाते है।

चींटी- ठीक है, तो अब आप सभी समस्या के लिए सुझाव प्रस्तुत करे।

बंदर-(इंसान से पूछते हुए) अगर हम इस योजना को हमारी दुनिया पर लगाने से कर दे तो? 

गिद्ध _ तो वो युद्ध करने पर उतारू  हो जाएँगी । 

बंदर- तो हम भी युद्ध कर लेंगे।

इंसान- और घर जाएंगे। 
बंदर-  क्यों-क्यों घरेंगे।

इंसान 3- भूलिए मत वो इंसान है, शेर दादा जैसे ताकतवर जानवर भी उनके चिड़िया घर में सौ पीस (show piece) बना रखा है, उनके पास सेना है, Nuclear power है। अपने घर बैठे -बैठे आपकी दुनिया को नष्ट कर सकते है। वो तो उनका दिल बड़ा है कि ऐसा कुछ किया नहीं अभी तक।सोचिए जरा, जंग करने जायेंगे तो जान से जायेंगे। न घर बचेगा, न परिवार सब राख बन हवा में उड़ जाएगा ।
इंसान 3- और आखिर बुराई न्या है ऐसे जीने में। आप लोगों की दुनिया तो अव्यवस्थित है। इस योजना के आने से व्यवस्थित हो जाएगी।

चींटी- वो लिंग भेद मशीन गन वाली बात___

इंसान 3- अरे! आप उसकी चिंता कर रहीं है क्या? बिल्कुल चिंता न कीजिए, आप तो हमारी अपनी है, आपका इंतजाम हो जाएगा ।

चींटी- अच्छा (गहरी सांस लेते हुए) तो क्या हल यहीं है कि उनकी योजना मान ली जाए ।

इंसान - हाँ, अगर बिना युद्ध बीना हानि-नुक्सान प्रस्ताव स्वीकार कर लिखा जाए तो।

अध्यक्ष साहिब, आप सभी एक कागज़ पर अपनी सहमति से हस्ताक्षर कर, सरकारी को हर लगाकर हमें दे दीजिए , हम वो कागज़, इंसानी मंत्रालय तक आपकी तरफ से पहुँचा देगे।
( सभी हाँ- हाँ करते है ।)
( चींटी एक कोरा कागज़ निकालकर अपनी सहमति लिखती है, शेर दादा, गिद्ध-बंदर भी उसपर हस्ताक्षर कर देते हैं, सरकारी मोहर लगाकर कागज़ इंसान-3 को दिया जाता है। यह देखकर चारों इंसान अपनी ढोंग/ नाटक की सफलता पर मुस्कुराते हैं।

निघत शिरीन
बी. एल. एड
Ex student जीसस एंड मेरी कॉलेज, हिंदी विशेष

आज पेड़ों की खुशी

आज पेड़ों की खुशी निराली है हर तरफ दिख रही हरियाली है पक्षियों में छाई खुशहाली है क्योंकि बारिश लाई खुशियों की प्याली है  Priya kaushik Hind...