रविवार, 26 सितंबर 2021

कविता : दो टूक जवाब

कविता : दो टूक जवा

मैं पूछ रही थी श्रीमान
क्या है मजहब क्या है इंसान?
क्या दोनों से है अस्तित्व की पहचान?

कौन मिटा रहा है किसका निशान?
किसने रोकी है किसकी उड़ान?
मजहब है या है वह इंसान?

एकदम से चीख पड़ा मजहब विद्वान
बोला, क्यों घसीट रही हो मुझे बेईमान?
खुद ही लगाई जा रही हो सब अनुमान
हमने नहीं बांटा इंसान
इंसान ने हमें बांटा शैतान
हम तो वहां भी हैं जहां हैं सब सुनसान

घरों में तो ये बैठे हैं आलीशान
नीच कर्मों के हैं यह धनवान
नैतिकता की पोटली बनाए रखी है मूल्यवान

सच इन्हें लगता है अपमान 
सब ने ओढ़ी है झूठी मुस्कान
करते हैं खुद पर शत-प्रतिशत अभिमान
स्वयं को समझते हैं बहुत बड़ा शक्तिमान
यही तो तोड़ना चाहते हैं हिंदुस्तान
सत्य तो यह है आप भी नहीं हैं इन बातों से अनजान।


निघत शिरीन
जीसस एंड मेरी कॉलेज एलुमनी 2020
बीए हिंदी ऑनर्स

रविवार, 12 सितंबर 2021

कविता : आज़ादी का उत्सव

नाम : तेजस्वी
कोर्स : बी ए हिंदी ऑनर्स
वर्ष : तृतीय
कॉलेज : जीसस एंड मेरी कॉलेज

कविता : आज़ादी का उत्सव

बात उस दौर की है जब भारत एक गुलाम था,
हम पर हुकूमत था करता, वह ब्रिटेनी ताज था।
जुल्म का स्तर कुछ इस प्रकार था की भरी दोपहरी में अंधकार था,
हर पल मन एक ही ख्याल सताता, कि अब अगला कौन शिकार था।
किंतु फिर भी मन में विश्वास था, क्योंकि कलम का ताकत पास था,
जो मौखिक शब्द ना कर पाते, ऐसे में यह एक शांत हथियार था।
आक्रोश की ज्वाला धधक रही थी, आंदोलन बनके वह दमक रही थी,
स्वतंत्रता की बात क्या उठी, चिंगारी शोले बन चमक रही थी।
लिख लिख कर हमने भी गाथा, दिलों में शोलों को भड़काया था,
सत्य अहिंसा को हथियार बनाकर, अंग्रेजों को बाहर का मार्ग दिखाया था,
बहुत मिन्नतों बाद दिखा हमें, आज़ादी का यह उत्सव था।

कविता - आज़ादी का अमृत महोत्सव

नाम : अदिति
कोर्स : बी ए हिंदी ऑनर्स
वर्ष : तृतीय
कॉलेज : जीसस एंड मेरी कॉलेज

कविता - आज़ादी का अमृत महोत्सव

आओ चलो याद करें उन वीर जवानों को,
जिन्होंने अपने लहू बहाया इस देश को बचाने को

सलाम करती हूं मैं मेरे उन भाइयों को,
जो तैनात खड़े हैं मेरे देश की हिफाज़त को।

लाल किले पर प्रधानमंत्री खड़े हैं झंडा फहराने को,
'सेवा परमो धर्म:' कह रहे हैं मेरे देश को जगाने को।

ना जाने कितने सिपाहियों ने जान गवायीं इस देश को बचाने को,
ताकि हम आगे चलते चलें इस देश को ऊंचा उठाने को।

जो उन्होंने सोचा था उस सपने को साकार करने को,
हमारे युवा बढ़े हैं आगे हर मुकाम हासिल करने को।

वादा करते हैं आंच नहीं आने देंगे इस देश की मिट्टी को,
इसी मिट्टी की सौगंध खाकर जीते हैं उनके सपनों को सच करने को।

शनिवार, 4 सितंबर 2021

कविता - आज़ादी का अमृत महोत्सव

Name - Saundraya Dwivedi
Year -3rd year
Course- B.A.hindi(hons•) 
College - Jesus and mary college



                   आजादी का अमृत महोत्सव


गर्व, महत्व, गुरता या गुरत्वय इज्जत और सम्मान कर
ऐ भारत तू भारत के वीर सपूतों पर अभिमान कर
आजादी के अमृत महोत्सव का गुणगान कर
ऐ भारत तू खुद पर अभिमान कर 
वीरता, साहस, निडरता या निर्भीकता,हिम्मत और पराक्रम से काम कर 
ऐ भारत तू खुद का मान रख
सरहद पर मर मिटने वाले
स्वतंत्रता का स्वप्न दिखाने वालों 
को याद कर 
ओ भारत तू आजादी के अमृत महोत्सव का गुणगान कर
शौर्य, एकता,अखंडता,आध्यात्म और कलाकारी से छलकते इतिहास का बखान कर
ओ भारत तू खुद को पहचान अब
जहाँ की मिट्टी को मिलता हो माँ का दर्जा
जहाँ प्रचलित हो अतिथि देवो भव की परम्परा 
जहाँ मिलते हो मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च एक साथ 
बोलियाँ, वेशभूषा, रंग रूप अनेकों होने के बावजूद
विविधता में एकता प्रदर्शित होती हो
जहाँ युद्ध के बदले युद्ध नहीं 
पहले शांति का प्रस्ताव रखा जाता हो
जहाँ के वीर तिरंगे के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर देते हो
ऐसे भारत की अद्भुत, विशाल एवम् गौरवशाली परंपरा का विश्व भर में बखान कर तू
ओ भारत आज आजादी के अमृत महोत्सव का गुणगान कर तू।

आज पेड़ों की खुशी

आज पेड़ों की खुशी निराली है हर तरफ दिख रही हरियाली है पक्षियों में छाई खुशहाली है क्योंकि बारिश लाई खुशियों की प्याली है  Priya kaushik Hind...