✨"आईना- ए- तहरीर", अपने नाम के अनुरूप सृजनात्मक अभिव्यक्ति का आईना बन कर जीवन के सरकारों से आपको रु-ब-रु कराने के लिए तैयार है l ✨मुख्य संयोजक :- डॉ अनुपमा श्रीवास्तव ✨ब्लॉग प्रबंधक:- गार्गी शुक्ला तुषिता राज आप सभी अपनी रचनाएं नीचे दिए गए मेल पर भेजें:- cauldronhindimagazine@gmail.com धन्यवाद।
मंगलवार, 31 जनवरी 2023
आज पेड़ों की खुशी
सोमवार, 30 जनवरी 2023
मेरी जीत होगी......♥️
रविवार, 29 जनवरी 2023
पिता
शुक्रवार, 27 जनवरी 2023
भूख
भूख,
ज्ञान की भूख बना देती है सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध जो दुनिया को शांति और सौहार्द सिखाते है बनते है नरेन्द्र से विवेकानंद जो देते है दुनिया को मानवीय मंत्र
भूख,
सत्ता की भूख बना देती है नेता न की राजनेता,जो लूटता है सरेआम देश की अस्मिता जो दिखाता है विकाश और करता है विनाश जो कराता है दंगा करता है समाज को हर दिन नंगा
भूख,
पैसो की भूख बना देती है तैमूर लंग जैसे आक्रमणकर्ता जो लूट लेता है मंदिर और लोगो की आस्था
भूख,
जिस्म की भूख बना देती है आपको अंधा खुलते है कोठे जहाँ निलाम होती है पूजे जाने वाली अम्मा
भूख,
अंध धर्म की भूख बना देती आपको आतंकवादी ओसमा बिन लादेन व लश्करे- e- तौबा जो खत्म कर देता है धर्म का मूल सिद्धांत मानवता
भूख,
पेट की भूख बनाती है इसांन को बेबश और लाचार जो बेच डालता है अपना पूरा घर संसार
भूख,
आत्मसम्मान की भूख बनाती है मनाव से महामानव सधारण से असधारणा जिसमें रच देता है इंसान एक नया इतिहास
तुषिता राज
First year
Hindi hons.
वक्त का पता नही चलता है
वक्त का पता नही चलता है
शहर नया लोग नये और नया जीवन
इन दौड़ती भागती सडको पर
भरे मेट्रो के डिब्बों मे
हम खो गए है या खोज रहे है खुद को,
पता नही चलता है
कुछ ख्वाबों के लिए इन किताबो
के बोझ तले दबते जा रहे है
या इस दुनिया की अंधी दौड़ मे यू ही चले जा रहे है
कुछ पता नही चलता है
कुछ ख्वाबों के साथ ये शहर चुना था
घर की डाट फटकार से दूर, यहाँ होगा सुकून सुना था
पर क्या सच मे वो ख्वाब पूरे हो रहे है
या बस यूँ ही किताबों का बोझ ढ़ो रहे है
कलेज से हॉस्टल, हॉस्टल से कलेज बस इतने से मे सिमट गयी है जिंदगी
कुछ और भी ख्वाब थे जिन्हे पुरा करने के लिए वक़्त कम पड़ रहा
हैवक्त का पता नही चल रहा है
आये तो आजादी खोजने थे, बंध गए वक्त की जंजीरों मे
पर घबराना नहीं, क्या पता खुदा ने कुछ अलग कुछ खास लिखा हो तुम्हारी लकीरों मे
बेशक गिरो पर उठो और फिर भागो
क्योंकि सफलता के उस छोर पे भी पीछे गुजरे वक्त का पता नही चलता है
(अनन्या सिंह)
Hindi hons
1st year
आज पेड़ों की खुशी
आज पेड़ों की खुशी निराली है हर तरफ दिख रही हरियाली है पक्षियों में छाई खुशहाली है क्योंकि बारिश लाई खुशियों की प्याली है Priya kaushik Hind...
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हां ये हो सकता है कि कोई तुम्हें मुझसे ज्यादा चाहे...... लेकिन जानते हो कोई तुम्हें मेरी तरह चाहे ये ज़रा सा मुश्किल है...... क्योंकि मैंने ...
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