Course : Ba Hindi hons
College : Bharati college
बंदिशे
हजार बार कह चुके हैं
हम उनसे
नहीं छोड़ सकती मैं
मम्मी और पापा को
उनकी मर्जी के बगैर
फिर क्यों आता है वो
बार बार लेने मेरी खैर
उसने तुरंत कहा
नहीं छोड़ सकती तुम
मम्मी और पापा को
उनकी मर्जी के बगैर
लेकिन वो छोड़ सकते हैं तुम्हें
तुम्हारी मर्जी के बगैर
कहीं भी कभी भी
जहाँ सभी होंगे तुम्हारे लिए गैर
जो रखेंगे तुमसे बैर
किसी को परवाह नहीं होगी
कि तुमने क्या खाया और पिया
सबको परवाह होगी तुमने क्या दिया
इसीलिए मैं आता हूँ बार बार तेरी गैल
लेने तेरी खैर
अपने साथ हुए बरताव पर
ज़रा करो तुम गौर
तुम्हें मेरी कौल
मैने उजागर की स्मृतियाँ बतौर
शिक्षा लेने नहीं दी
समझ कर गैर
लाड़ प्यार दिया नहीं
समझ कर गैर
मौलिक अधिकार छीन लिए गए
समझ कर गैर
मेरी इच्छाओं को कुचला गया
समझ कर गैर
अपनी इच्छाओं को थोपा गया
समझ कर गैर
और अब जब मैं करती हू
उन बातों पर गौर
तो आता है मुझे खौर
नहीं सह सकती
यह बंदिशों की डोर
चाहती हूँ हमेशा हमेशा के लिए
इसे देना तोड़
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