शुक्रवार, 27 जनवरी 2023

वक्त का पता नही चलता है

 वक्त का पता नही  चलता है

शहर नया लोग नये और नया जीवन


इन दौड़ती भागती सडको पर 

भरे मेट्रो के डिब्बों मे

हम खो गए है या खोज रहे है खुद को, 

पता नही चलता है


कुछ ख्वाबों के लिए इन किताबो

के बोझ तले दबते जा रहे है

या इस दुनिया की अंधी दौड़ मे यू ही चले जा रहे है

कुछ पता नही चलता है


कुछ ख्वाबों के साथ ये शहर चुना था

घर की डाट फटकार से दूर, यहाँ होगा सुकून सुना था


पर क्या सच मे वो ख्वाब पूरे हो रहे है

या बस यूँ ही किताबों का बोझ ढ़ो रहे है


कलेज से हॉस्टल, हॉस्टल से कलेज बस इतने से मे सिमट गयी है जिंदगी


कुछ और भी ख्वाब थे जिन्हे पुरा करने के लिए वक़्त कम पड़ रहा

 हैवक्त का पता नही चल रहा है


आये तो आजादी खोजने थे, बंध गए वक्त की जंजीरों मे


पर घबराना नहीं, क्या पता खुदा ने कुछ अलग कुछ खास लिखा हो तुम्हारी लकीरों मे


बेशक गिरो पर उठो और फिर भागो


क्योंकि सफलता के उस छोर पे भी पीछे गुजरे वक्त का पता नही चलता है


(अनन्या सिंह)

Hindi hons

1st year

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