मंगलवार, 31 जनवरी 2023

आज पेड़ों की खुशी

आज पेड़ों की खुशी निराली है
हर तरफ दिख रही हरियाली है
पक्षियों में छाई खुशहाली है
क्योंकि बारिश लाई खुशियों की प्याली है 

Priya kaushik
Hindi Hons 

सोमवार, 30 जनवरी 2023

मेरी जीत होगी......♥️

हां ये हो सकता है कि कोई तुम्हें मुझसे ज्यादा चाहे......

लेकिन जानते हो कोई तुम्हें मेरी तरह चाहे ये ज़रा सा मुश्किल है...... क्योंकि मैंने तुम्हें चाहा वैसे, जैसे तुम चाहे जाना चाहते थे...... मैंने जब तुम्हें चाहा तो कभी कोशिश नहीं की तुम्हारी आदतों को बदलने की...... हमेशा कोशिश की मैंने उन आदतों में ढलने की.....मैने कभी तुम्हारे उसूलों से उलझने की कोशिश नहीं कि.... मैंने कभी कोशिश नहीं की तुम्हें अपने मुताबिक बदलने कि....मैंने कोशिश हमेशा कि तुम्हारे साथ चलने की। हां तुम्हारी खामोशी मुझे चुभती है लेकिन मैंने हमेशा कोशिश की उस खामोशी को समझने कि........

और मुझे कभी इस चीज का मलाल नहीं होगा की कोई तुम्हे मुझसे ज्यादा चाहेगा.....क्योंकि मेरे प्यार की जीत कभी तुम्हे ज्यादा या कम चाहने में नही होगी...... मेरी जीत होगी हमेशा तुम्हे उस तरह चाहने में जिस तरह तुम हो..... सही गलत, अच्छे, बुरे जैसे भी हो बस उसी तरह चाहने में........

~गार्गी
हिंदी ऑनर्स 

रविवार, 29 जनवरी 2023

पिता

आज लेकर कलम अपनी
मैं पिता पर लिखने बैठी
पहली पंक्ति में लिखा मैंने उनकी जिम्मेदारियों को
फिर लिखा मैंने उनकी समझदारियों को
लिखा मैंने उनके अनुभव और उनके ज्ञान को 
लिखा मैंने उनके मान सम्मान को
मैने लिखा तो बहुत कुछ 
मगर एक पिता का मन न लिख पाई
और लिख दिया मैंने शब्दों का एक सागर
फिर भी पिता जैसा एक कण ना लिख पाई।.....
~गार्गी.....

शुक्रवार, 27 जनवरी 2023

भूख

 भूख,

ज्ञान की भूख बना देती है सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध जो दुनिया को शांति और सौहार्द सिखाते है बनते है नरेन्द्र से विवेकानंद जो देते है दुनिया को मानवीय मंत्र

भूख,

सत्ता की भूख बना देती है नेता न की राजनेता,जो लूटता है सरेआम देश की अस्मिता जो दिखाता है विकाश और करता है विनाश जो कराता है दंगा करता है समाज को हर दिन नंगा

भूख,

पैसो की भूख बना देती है तैमूर लंग जैसे आक्रमणकर्ता जो लूट लेता है मंदिर और लोगो की आस्था

भूख, 

जिस्म की भूख बना देती है आपको अंधा खुलते है कोठे जहाँ निलाम होती है पूजे जाने वाली अम्मा

भूख, 

अंध धर्म की भूख बना देती आपको आतंकवादी ओसमा बिन लादेन व लश्करे- e- तौबा जो खत्म कर देता है धर्म का मूल सिद्धांत मानवता

भूख,

पेट की भूख बनाती है इसांन को बेबश और लाचार जो बेच डालता है अपना पूरा घर संसार

भूख, 

आत्मसम्मान की भूख बनाती है मनाव से महामानव सधारण से असधारणा जिसमें रच देता है इंसान एक नया इतिहास


तुषिता राज

First year

Hindi hons.

वक्त का पता नही चलता है

 वक्त का पता नही  चलता है

शहर नया लोग नये और नया जीवन


इन दौड़ती भागती सडको पर 

भरे मेट्रो के डिब्बों मे

हम खो गए है या खोज रहे है खुद को, 

पता नही चलता है


कुछ ख्वाबों के लिए इन किताबो

के बोझ तले दबते जा रहे है

या इस दुनिया की अंधी दौड़ मे यू ही चले जा रहे है

कुछ पता नही चलता है


कुछ ख्वाबों के साथ ये शहर चुना था

घर की डाट फटकार से दूर, यहाँ होगा सुकून सुना था


पर क्या सच मे वो ख्वाब पूरे हो रहे है

या बस यूँ ही किताबों का बोझ ढ़ो रहे है


कलेज से हॉस्टल, हॉस्टल से कलेज बस इतने से मे सिमट गयी है जिंदगी


कुछ और भी ख्वाब थे जिन्हे पुरा करने के लिए वक़्त कम पड़ रहा

 हैवक्त का पता नही चल रहा है


आये तो आजादी खोजने थे, बंध गए वक्त की जंजीरों मे


पर घबराना नहीं, क्या पता खुदा ने कुछ अलग कुछ खास लिखा हो तुम्हारी लकीरों मे


बेशक गिरो पर उठो और फिर भागो


क्योंकि सफलता के उस छोर पे भी पीछे गुजरे वक्त का पता नही चलता है


(अनन्या सिंह)

Hindi hons

1st year