रविवार, 29 जनवरी 2023

पिता

आज लेकर कलम अपनी
मैं पिता पर लिखने बैठी
पहली पंक्ति में लिखा मैंने उनकी जिम्मेदारियों को
फिर लिखा मैंने उनकी समझदारियों को
लिखा मैंने उनके अनुभव और उनके ज्ञान को 
लिखा मैंने उनके मान सम्मान को
मैने लिखा तो बहुत कुछ 
मगर एक पिता का मन न लिख पाई
और लिख दिया मैंने शब्दों का एक सागर
फिर भी पिता जैसा एक कण ना लिख पाई।.....
~गार्गी.....

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