मैं पिता पर लिखने बैठी
पहली पंक्ति में लिखा मैंने उनकी जिम्मेदारियों को
फिर लिखा मैंने उनकी समझदारियों को
लिखा मैंने उनके अनुभव और उनके ज्ञान को
लिखा मैंने उनके मान सम्मान को
मैने लिखा तो बहुत कुछ
मगर एक पिता का मन न लिख पाई
और लिख दिया मैंने शब्दों का एक सागर
फिर भी पिता जैसा एक कण ना लिख पाई।.....
~गार्गी.....
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